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अध्याय 6 जैव प्रक्रम (Life Processes)

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Science Class 10 Hindi Medium अध्याय 6 जैव प्रक्रम ( Life Processes) जैव प्रक्रम ( Life Processes): वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं , उन्हें जैव प्रक्रम कहते हैं। जैव प्रक्रम के अन्तर्गत जीवन का अनुरक्षण करने वाले पोषण , श्वसन , परिवहन , उत्सर्जन , नियंत्रण , वृद्धि , गति , प्रजनन आदि प्रक्रम समाहित किए जाते हैं। अतः जीवन को बनाये रखने के लिए जीवधारियों द्वारा निष्पादित मूल क्रियाएँ ही जैव प्रक्रम कहलाती हैं। पोषण ( Nutrition) - वह प्रक्रम जिसमें जीवधारी अपने पर्यावरण से पोषकों का अन्तर्ग्रहण करता है पचे भोजन का अवशोषण एवं शरीर द्वारा अनुरक्षण के लिए उसका उपयोग करता है पोषण कहलाता है। पोषण की विभिन्न विधियां- (i)        स्वपोषी पोषण ( autotrophic nutrition ) (ii)         परपोषी पोषण / विषमपोषी पोषण ( Heterotrophic Nutrition)

Mirror Images and Water Images

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Mirror Images Practice Questions दर्पण प्रतिबिंब  निर्देश (प्र. 1-6) निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए चित्र( x) को दर्पण में देखने पर दिए गए विकल्पों में से कौन सा चित्र बनेगा ? 1)  2)  3)  4)  5) 6) निर्देश (प्र. 7 -11) निम्नलिखित दिए गए प्रत्येक प्रश्न में एक आकृति X दी गई है या फिर अँग्रेजी वर्णमाला के अक्षर व संख्याएँ दी गई है! आपको इन आकृतियों या अँग्रेजी वर्णमाला के अक्षर व संख्याओं के बारे में यह पता लगाना है कि ये दर्पण में देखने पर किस प्रकार दिखाई देती है!

Class 10 Science | Chapter 5 Periodic Properties of Elements

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तत्वों का आवर्त वर्गीकरण तत्व- ऐसे पदार्थ जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने हैं तत्व कहलाते हैं। जैसे लोहा , सोना , चांदी ,   मैग्नीशियम आदि। अभी तक हमें लगभग 118 तत्व ज्ञात हैं। तत्वों का वर्गीकरण सभी तत्वों को सुव्यवस्थित ढंग से पढ़ने के लिए उनके वर्गीकरण की आवश्यकता होती है। तत्वों का वर्गीकरण उनके गुणों में समानता के आधार पर किया जाता है। डॉबेराइनर के त्रिक   (जर्मन रसायनज्ञ , वुल्फ़गांग डाबेराइनर , 1817) जब तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भार के अनुसार क्रमवार लगाया जाए तो तीन तत्वों के समूह प्राप्त होते हैं जिन्हें त्रिक कहा गया। त्रिक के मध्य तत्व का परमाणु भार अन्य दो तत्वों के परमाणु भार का माध्य होता है। उदाहरण तत्व कैल्शियम Ca स्ट्राशियम Sr बेरियम Ba परमाणु भार 40.1 87.6 137.3 तीन डॉबेराइनर त्रिक डॉबेराइनर त्रिक की सीमाएँ — सन् 1817 में ज्ञात 30 तत्त्वों में से डॉबेराइनर केवल तीन त्रिक बना सके । शेष 21 तत्त्वों को त्रिक के रूप में नहीं व्यवस्थित किया जा सका । उदाहरण तीन तत्त्

Class 10 Science Chapter 3 | Hindi Medium | धातु और आधातु

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विज्ञान कक्षा 10      अध्याय-3:  धातु एवं अधातु     तत्वों को उनके गुणर्धर्मों के आधार पर धातु , अधातु तथा उपधातु में वर्गीकृत किया जाता है। वर्तमान में 118 तत्व ज्ञात है जिनमें से लगभग 90 धातु , 22 अधातु तथा कुछ उपधातु है। धातुओं के उदाहरण- आयरन , कापर एल्यूमिनियम , कैलिशयम , मैग्नीशियम , सोडियम , लेड , जिंक पारा आदि अधातुओं के उदाहरण- हाइड्रोजन , आक्सीजन , नाइट्रोजन , सल्फर , क्लोरीन , आयोडीन आदि। धातुओं के भौतिक गुणधर्म- धात्विक चमक- शुद्ध धातु की सतह चमकदार होती है , धातु के इस गुण को धात्विक चमक कहते हैं।

Class 11 Physics Chapter 3 Hindi Medium

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सरल रेखा में गति  ( Motion in a Straight Line ) गति (Motion): समय के साथ साथ जब कोई वस्तु अपने परिवेश के   सापेक्ष अपनी स्थिति में परिवर्तन करती है तो वह वस्तु गतिशील कहलाती   है। विराम अवस्था (Rest): समय के साथ साथ जब कोई वस्तु अपने परिवेश के   सापेक्ष अपनी स्थिति में परिवर्तन नहीं करती है तो वह वस्तु विराम अवस्था में होती है। निर्देश तंत्र ( frame of reference)   किसी कण की स्थिति को दर्शाने के लिए हमें एक निर्देश तंत्र की आवश्यकता होती है। इसके लिए एक समकोणिक निर्देशांक-निकाय जिसमें तीन परस्पर लम्बवत अक्ष होते हैं जिन्हें x, y - तथा z- अक्ष कहते हैं। समय नापने के लिए इस निकाय में एक घड़ी रख देते हैं। घड़ी सहित इस निर्देशांक-निकाय को निर्देश तंत्र ( frame of reference) कहते हैं। जब किसी वस्तु के एक या अधिक निर्देशांक समय के साथ परिवर्तित होते हैं तो वस्तु को गतिमान कहते हैं। अन्यथा वस्तु को उस निर्देश तंत्र के सापेक्ष विरामावस्था में मानते हैं।

Class 12 Mathematics Chapter 1 Relations and Functions (in Hindi)

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संबंध और फलन - गणित कक्षा 12  पीडीएफ़ नोट्स download लिंक  भाग 1 (Lecture 1 से Lecture 4 तक के लिए )  [ नोट्स के इस भाग में संबंध और फलन चैप्टर के लिए जरूरी कक्षा 11 के महत्वपूर्ण topics, संबंधो के प्रकार , NCERT पुस्तक के उदाहरण 1 से 6 तक हल किए गए है।  12th class Maths free Video Lectures By Suresh Lecturer (इस चैप्टर के सभी विडियो की लिस्ट देखने के लिए विडियो के top left corner पर बनी तीन लाइनों पर क्लिक करें)

Human Eye and Colorful World Notes in Hindi Class 10 Science

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अध्याय 11 कक्षा 10 विज्ञान मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार मानव नेत्र:  नेत्र हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। हम अपने चारों ओर की दुनिया को नेत्रों की सहायता से ही देख सकते हैं।  Video Lectures by Suresh Lecturer मानव नेत्र की संरचना : मानव नेत्र की कार्यप्रणाली एक अत्याधुनिक ऑटोफॉक्स कैमरे की तरह होती है। नेत्र लगभग 2.3 cm व्यास का एक गोलाकार अंग है, जिसके प्रमुख भाग निम्नलिखित है- 1. श्वेत पटल (Sclera) – नेत्र के चारों ओर एक श्वेत सुरक्षा कवच बना होता है जो अपारदर्शक होता है। इसे श्वेत पटल कहते हैं।  2. कॉर्निया (Cornea) – नेत्र के सामने श्वेत पटल के मध्य में थोड़ा उभरा हुआ भाग पारदर्शी होता है। प्रकाश की किरणे इसी भाग से अपवर्तित होकर नेत्र में प्रवेश करती है। 

Class 10 Science Chapter 2 Hindi Medium Notes | Acids, Bases and Salts

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कक्षा – 10 विज्ञान अध्याय – 2 अम्ल , क्षारक एवं लवण अम्ल : ऐसे पदार्थ , जो स्वाद में खट्टे होते हैं तथा नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं , अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण – हाइड्रोक्लोरिक अम्ल HCl, सल्फ़युरिक अम्ल H 2 SO 4 , नाइट्रिक अम्ल HNO 3 आदि । प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले अम्ल: स्रोत अम्ल का नाम 1 संतरा या नींबू सिट्रिक अम्ल 2 सेब मेलिक अम्ल 3 सिरका एसिटिक अम्ल 4 टमाटर ओक्सोलिक अम्ल 5 जठर रस हाइड्रोक्लोरिक अम्ल 6 इमली टारटैरिक अम्ल 7 दही या खट्टा दूध लैक्टिक अम्ल 8 प्रोटीन अमीनो अम्ल 9 लाल चींटी का डंक मेथेनोइक अम्ल या फोर्मिक अम्ल 10 नेटल मेथेनोइक अम्ल या फोर्मिक अम्ल क्षारक : ऐसे पदार्थ जो स्वाद में कडवे तथा लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं , उन्हें क्षारक कहते हैं। उदाहरण सोडियम हाइड्रोक्साइड NaOH, पोटेशियम हाइड्रोक्साइड KOH आदि ।

11th class Physics मात्रक और मापन (भाग 4)

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विमीय विश्लेषण : विमीय सूत्रों का उपयोग करके भौतिकी में कई समस्याओं के समाधान को प्राप्त करने की विधि को विमीय विश्लेषण कहा जाता है विमाओं की  समघातता सिद्धान्त: इस सिद्धान्त के अनुसार  केवल वहीं भौतिक राशियाँ जोड़ी या घटाई जा सकती है जिनकी विमाएँ समान हो। उदाहरण : लंबाई को लंबाई में जोड़ा या घटाया जा सकता है लेकिन लंबाई को समय में नहीं जोड़ा या घटाया जा सकता। किसी गणितीय समीकरण में सभी पदों की विमाएँ समान होनी चाहिए । विमीय समीकरणों का उपयोग : विमीय समीकरणों के निम्नलिखित उपयोग है- 1.      किसी समीकरण कि संशुद्धि /यर्थातता ( accuracy) की जांच करना। 2.      विभिन्न भौतिक राशियों के बीच संबंध व्युत्पन्न करना । 3.      किसी भौतिक राशि के परिमाण को एक मात्रक पद्धति से दूसरी मात्रक पद्धित में बदलना। (1) किसी समीकरण कि संशुद्धि ( accuracy) की जांच करना। हम जानते हैं कि विमाओं की  समघातता सिद्धान्त के अनुसार  केवल वहीं भौतिक राशियाँ जोड़ी या घटाई जा सकती है जिनकी विमाएँ समान हो। इस सिद्धान्त से एक निष्कर्ष यह भी निकलता है कि यदि किसी समीकरण के सभी पदों की विमाएँ समान न

Physics 11th Class मात्रक और मापन (भाग 3)

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भौतिक राशि की विमाएँ : ( Dimensions of a Physical Quantity) किसी भौतिक राशि की विमाएँ उन घातों (या घातांकों) को कहते हैं , जिन्हें उस राशि को व्यक्त करने के लिए मूल राशियों पर चढ़ाना पड़ता है। उदाहरण : (1) आयतन = लंबाई × चौड़ाई ×ऊंचाई  = [L] × [ L] × [L] = [L 3 ] = [M 0 L 3 T 0 ] इसलिए आयतन की द्रव्यमान में विमा 0 , लंबाई में विमाएँ 3 तथा समय में विमा 0 है। (2) वेग  = विस्थाप्न/समय   = [L]/[T]  = [M 0 L 1 T -1 ] इसलिए वेग  की द्रव्यमान में विमा 0 , लंबाई में विमा 1 तथा समय में विमा -1 है। (3) त्वरण = वेग/समय     =  [M 0 L 1 T  -1 ]/[T]   = [M 0 L 1 T -2 ] इसलिए त्वरण  की द्रव्यमान में विमा 0 , लंबाई में विमा 1 तथा समय में विमा -2 है। (4) इसी तरह , बल = द्रव्यमान × त्वरण                    = M ×  [M 0 L 1 T  -2 ]                    = [M 1 L 1 T -2 ] बल की द्रव्यमान में विमा 1 , लंबाई में विमा 1 तथा समय में विमा -2 है। विमीय सूत्र : किसी दी हुई भौतिक राशि का विमीय सूत्र वह व्यंजक है जो यह दर्शाता है कि उस  भौतिक राशि में किस मूल राशि कि कितनी विमाएँ है।