9th Class Science Notes in Hindi Medium Chapter 1


विज्ञान कक्षा - 9
अध्याय 1

हमारे आस-पास के पदार्थ (Matter in Our Surroundings)


पदार्थ
हमारे आस पास की प्रत्येक वस्तु जो स्थान घेरती है और इसका द्रव्यमान होता है,पदार्थ कहलाती है।
पदार्थ का भौतिक स्वरूप
v पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है।
v पदार्थ के कण बहुत छोटे-छोटे होते हैं।

क्रियाकलाप: यदि हम पोटैशियम परमैंगनेट के दो या तीन क्रिस्टलों को 100 ml जल में घोल लें। इस घोल में से लगभग 10 ml घोल निकालकर उसे 90 ml जल में मिला दें। फिर इस उपरोक्त घोल में से 10 ml निकालकर उसे भी 90 ml जल में मिला दें। इसी तरह इस घोल को 5 से 8बार तनुकृत करते रहे। जल फिर भी रंगीन होगा। इससे पता चलता है कि पोटैशियम परमैंगनेट के बहुत थोड़े से क्रिस्टलों से पानी की बहुत अधिक मात्रा भी रंगीन हो सकती हैं। जिससे सिद्ध होता है कि पदार्थ बहुत छोटे छोटे कणों से मिलकर बना है।

1.2 पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण

1.   पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है :
एक बीकर में 100 ml जल डालो। इस बीकर में जल स्तर पर एक निशान लगाओ। अब बीकर में दो चम्मच नमक डालो। हिंडोलक की सहायता से जल को हिलाओ। आप देखेंगे कि नमक धीरे-धीरे गायब होता जाएगा परन्तु बीकर में जल स्तर में कोई परिवर्तन नहीं होता। इसका कारण यह है कि नमक के कण जल के कणों के बीच समा गए। इससे सिद्ध होता है कि पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
2.     पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं: पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं, अर्थात, उनमें गतिज ऊर्जा होती है। तापमान बढ़ने से कणों की गति तेज़ हो जाती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि तापमान बढ़ने से कणों की गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाती है।
क्रियाकलाप: एक बीकर में 100 ml जल लेकर उसमें में कॉपर सल्फेट के कुछ क्रिस्टल डालने पर हम देखेंगे कि कॉपर सल्फेट के कण धीरे-धीरे पूरे बीकर के जल में फैलने लग जाते हैं। कुछ समय बाद कॉपर सल्फेट के कणों से सारे जल की सांद्रता समान हो जाएगी। इससे सिद्ध होता है कि पदार्थ के कण निरंतर गति करते हैं।
विसरण-एक पदार्थ के कणों का दूसरे पदार्थ के कणों में स्वतः मिलना विसरण कहलाता है।
3.   पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं
पदार्थके कणों के बीच एक बल कार्य करता है। यह बल कणों को एक साथ रखता है। इस आकर्षण बल का सामर्थ्य प्रत्येक पदार्थ में अलग-अलग होता है।



प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-से पदार्थ हैं
कुर्सी, वायु, स्नेह, गंध, घृणा, बादाम, विचार, शीत, शीतल पेय, इत्र की सुगंध।
उत्तर- कुर्सी, वायु, बादाम, व शीतल पेय ये सभी पदार्थ हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रेक्षण के कारण बताएँ- गर्मा-गरम खाने की गंध कई मीटर दूर से ही आपके पास पहुँच जाती है, लेकिन ठंडे खाने की महक लेने के लिए आपको उसके पास जाना पड़ता है।
उत्तर- पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं। तापमान बढ़ने पर विसरण तेज हो जाता है। यही कारण है कि गर्मा-गरमखाने की गंध कई मीटर से ही आपके पास पहुंच जाती है, जबकि ठंडे खाने की महक लेने के लिए हमें उसके पास जाना पड़ता है क्योंकि ताप घटने पर विसरण मंद हो जाता है।

प्रश्न 3. स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है। इससे पदार्थ का कौन-सा गुण प्रेक्षित होता है?
उत्तर- स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है क्योंकि जल के कणों के बीच अधिक दूरी होती है तथा आकर्षण बल कम होता है , इससे पदार्थ का संपीड़न का गुण प्रेक्षित होता है।

प्रश्न 4. पदार्थ के कणों की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर- पदार्थ के कणों की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
1.     पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
2.     पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं।
3.     पदार्थ के कण अति सूक्ष्म होते हैं।
4.     पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
5.     ताप बढ़ने पर पदार्थ के कणों की गति बढ़ जाती है।

पदार्थ की अवस्थाएँ
पदार्थ की अवस्थाएँ भौतिक रूप से पदार्थ तीन अवस्थाओं में पाया जाता है
(i)                ठोस अवस्था
(ii)              द्रव अवस्था
(iii)            गैसीय अवस्था। 
(i)         ठोस अवस्था
वे पदार्थ जिनका आकार,आमाप व आयतन निश्चित होता है तथा जिन्हें संपीडित नहीं किया जा सकता। जैसे-लोहा, पत्थर आदि।

(ii)        द्रव अवस्था
वे पदार्थ जिनका आयतन निश्चित होता है, परंतु आकार अनिश्चित होता है तथा इन्हें संपीडित नहीं किया जा सकता; जैसे-जल, दूध आदि।
जिस बर्तन में इन्हें रखा जाए तो ये उसी का आकार ले लेते हैं। द्रवों में बहाव होता है और इनका आकार बदलता है, इसीलिए ये दृढ़ नहीं लेकिन तरल होते हैं।

(iii)      गैसीय अवस्था
वे पदार्थ जिनका आयतन व आकार अनिश्चित होता है, और जो संपीड़ित होते हैं; जैसे-ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।

(a) रबर बैंड को क्या माना जाएगा। क्या खींचकर इसका आकार बदला जा सकता है? क्या ये ठोस है?
उत्तर: रबर बैंड ठोस है क्योंकि बाह्य बल लगाए जाने पर इसका आकार बदलता है और बल हटा लेने पर यह पुनः अपने मूल आकार में आ जाता है। अत्यधिक बल लगाने पर यह टूट जाता है।

(b)विभिन्न आकार के बर्तनों में रखने पर चीनी और नमक उन्हीं बर्तनों के आकार ले लेते हैं। क्या ये ठोस हैं?
उत्तर: चीनी और नमक ठोस है क्योंकि चाहे हम शर्करा (चीनी) या नमक को अपने हाथ में लें, या किसी प्लेट या ज़ार में रखें, इनके क्रिस्टलों के आकार नहीं बदलते हैं।

(c) स्पंज क्या है? यह ठोस है लेकिन फिर भीइसका संपीडन संभव है। क्यों?
उत्तर: स्पंजठोस है क्योंकि स्पंज में बहत छोटे छिद्र होते हैं, जिनमें वायु का समावेश होता है। जब हम इसे दबाते हैं तो वे वायु बाहर निकलती है, जिससे इसका संपीडन संभव होता है।

ठोस, द्रव व गैस के गुणों का अंतर: 

ठोस द्रव गैस
1.
इनका आकार निश्चित होता
इनका आकार निश्चित नहीं होता।
इनका आकार निश्चित नहीं होता।
2.
इनका आयतन निश्चित होता
इनका आयतन निश्चित होता है।
इनका आयतन निश्चित नहीं होता।
3.
इनका घनत्व अधिक होता है।
इनका घनत्व गैसों से अधिक होता है, लेकिन ठोसों से कम होता है।
इनका घनत्व बहुत कम होता है।
4. ये कठोर होते हैं। ये कठोर नहीं होते हैं। ये कठोर नहीं होते हैं।
5. इनके कणों में अंतराणुक 'बल बहुत अधिक होता है। इनके कणों में अंतराणुक बल गैसों से अधिक होता है। इसके कणों में अंतराणुक बल नगण्य होता है।
6. इसके कणों में विसरण नगण्य होता है। इसके कणों में विसरण गैसों की अपेक्षा कम होता है। इनके कणों में विसरण बहुत अधिक होता है।
7. इन्हें संपीड़ित नहीं किया जा सकता।
इन्हें संपीड़ित नहीं किया जा सकता।
इन्हें संपीड़ित किया जा सकता है।
9.
इसके कणों में बहुत कम गतिज ऊर्जा होती है।
इनके कणों में कुछ गतिज ऊर्जा होती है।
इनके कणों में बहुत अधिक गतिज ऊर्जा होती है।

प्रश्न 1. किसी तत्त्वं के द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को घनत्व कहते हैं। (घनत्व-द्रव्यमान/आयतन) . बढ़ते हुए घनत्व के क्रम में निम्नलिखित को व्यवस्थित करें।
वायु, चिमनी का धुआँ, शहद, जल, चॉक, रुई और लोहा।
उत्तर- उपरोक्त तत्त्वों को घनत्व के बढ़ने के साथ आरोही क्रम में निम्नलिखित क्रम में लिखा जा सकता है।  चिमनी का धुआँवायु,रुई,जल,  शहद, चॉक, लोहा।
प्रश्न 2. (a) पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों में होने वाले अंतर को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर- इस प्रश्न का उत्तर ऊपर सारणी में है।

(b) निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए
दृढ़ता, संपीड्यता, तरलता, बर्तन में गैस का भरना, आकार, गतिज ऊर्जा एवं घनत्व।
1.      दृढ़ता-पदार्थ की दृढ़ता  इसके कणों के बीच लगने वाला आकर्षण बल के कारण होती है । यह आकर्षण बल जितना अधिक होगा पदार्थ उतना ही दृड़ होगा। ठोसों में यह आकर्षण बल बहुत अधिक होता है जिस कारण ठोस दृढ़ होता है, जबकि द्रवों में कुछ कम तथा - गैसों में सबसे कम दृढ़ता होती है।
2.      संपीड्यता-किसी पदार्थ के कणों के बीच की दूरी को बल लगाकर कम करना संपीड्यता कहलाता है। द्रवों तथा ठोसों में संपीड्यता का गुण नगण्य होता है , जबकि गैसों में संपीड्यता का गुण पाया जाता है।


1.      तरलता-पदार्थों का वह गुण जिससे वह बह सकते हैं, तरलता कहलाता है। तरलता का गुण गैंसो एवं द्रवों में पाया जाता है, ठोसों में नहीं।
2.      बर्तन में गैस का भरना-किसी बर्तन में गैस को भरने के लिए गैंसों को संपीडित करके बर्तनों में भरा जा सकता है। इन्हें बर्तन में उच्च दाब तथा कम ताप पर भरा जाता है।
3.      आकार-ठोस के कणों में अंतराणुक बल अधिक होता है जिस कारण ठोस का आकार निश्चित होता है। जबकि द्रवों तथा गैसों के कणों में अंतराणुक बल कम होता है जिससे इनका आकार निश्चित नहीं होता।
4.      गतिज ऊर्जा-किसी पदार्थ के कणों की गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा, गतिज ऊर्जा कहलाती है। ताप बढ़ने पर पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। गैसों के कणों में अंतराणुक बल कम होता है जिससे इनके कण गति करने के लिए अधिक स्वतंत्र होते हैं इसलिए इनकी  उच्च गतिज ऊर्जा होती है।
5.      घनत्व-किसी तत्त्व के द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को, घनत्व कहते हैं।
घनत्व = द्रव्यमान / आयतन  
ठोसों का घनत्व अधिक होता है जबकि द्रवों का कुछ कम तथा गैसों का घनत्व ठोसों व द्रवों की तुलना में कम  होता है।
प्रश्न 3. कारण बताएँ
(a)   गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है जिसमें इसे रखते हैं।
(b)  गैस बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती है।
(c)   लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है।
(d)  हवा में हम आसानी से अपना हाथ चला सकते हैं, लेकिन एक ठोस लकड़ी के टुकड़े में हाथ चलाने के लिए हमें कराटे में दक्ष होना पड़ेगा।
उत्तर-
(a)   गैस पूरी तरह बर्तन को भर देती है क्योंकि गैस के कणों में गतिज ऊर्जा अधिक होती है तथा आकर्षण बल काफी कम होता है , जिसके कारण ये कण चारों ओर अनियमित गति करते हैं । इसी कारण गैस पूरे बर्तन को भर देती हैं जिसमें इसे रखते हैं।
(b)  गैस के कण अनियमित तथा तीव्र गति करते हैं। इस अनियमित गति के कारण ये कण बर्तन की दीवारों से टकराते हैं, जिससे दीवारों पर बल लगता है।
क्योंकि ,   दबाव =
                     
 इसलिए, बर्तन की दीवार पर गैस कणों द्वारा प्रति इकाई क्षेत्र में लगे बल के कारण गैस का दबाव बनता है।
(c)   लकड़ी की मेंज का आकार तथा आयतन निश्चित होता है तथा इसे संपीडित नहीं किया जा सकता, इसलिए लकड़ी की मेंज ठोस है।  
(d)  वायु के कणों के बीच दूरी अधिक होने के कारण हम हवा में हाथ आसानी से हिला सकते हैं जबकि ठोस के कणों के बीच दूरी नगण्य होती है, जिस कारण ठोस लकड़ी के टुकड़े में हाथ चलाने के लिए हमें कराटे में दक्ष होना पड़ेगा।
 प्रश्न 4. सामान्यतः ठोस पदार्थों की अपेक्षा द्रवों का घनत्व कम होता है, लेकिन आपने बर्फ के टुकड़े को जल
में तैरते हुए देखा होगा। पता लगाइए ऐसा क्यों होता है?
उत्तर- सामान्यतः ठोस पदार्थों की अपेक्षा द्रवों का घनत्व कम होता है,परंतु जल का घनत्व 4°C पर सबसे अधिक होता है। लेकिन जब जल को 4°C से नीचे ठंडा किया जाता है तब इसका घनत्व घटने लग जाता है। 0°C पर.बर्फ का घनत्व जल के घनत्व से कम हो जाता है जिस कारण बर्फ जल पर तैरती है।


पदार्थ की अवस्थाओं में परिवर्तन (Change of states of Matter)
पानी पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में मिलता है।
ठोस - बर्फ,  द्रव- पानी,  गैस -वाष्प
गर्म करने पर बर्फ पानी में परिवतर्तित हो जाती है और पानी वाष्प में परिवर्तित हो जाता है।
पदार्थ की अवस्थाएँ अंत:परिवर्तित होती हैं। पदार्थ की अवस्थाओं में परिवर्तन ताप और दाब में परिवर्तन से किया जा सकता है।

(i)       तापमान में परिवर्तन
ठोस के तापमान को बढ़ाने पर उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। गतिज ऊर्जा में वृद्धि होने के कारण कण अधिक तेज़ी से कंपन करने लगते हैं। ऊष्मा के द्वारा प्रदत्त की गई ऊर्जा कणों के बीच के आकर्षण बल को पार कर लेती है। इस कारण कण अपने नियत स्थान को छोडकर अधिक स्वतंत्र होकर गति करने लगते हैं। एक अवस्था ऐसी आती है, जब ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है।

गलनांक (Melting point)-जिस तापमान पर (वायुमंडलीय दाब पर) कोई ठोस पिघल कर द्रव बनता है, वह इसका गलनांक कहलाता है। बर्फ का गलनांक 273.16 K है। सुविधा के लिए हम इसे 0°C अर्थात् 273 K लेते हैं।
जब बर्फ पिघलती है, बर्फ का तापमान नहीं बढ़ता है, लगातार ऊष्मा प्रदान करने के बावजूद, क्योंकि संगलन की गुप्त ऊष्मा, तापमान को बढ़ने नहीं देती है।

संगलन की गुप्त ऊष्मा- वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे संगलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।
अतः 0°C बर्फ के कणों की तुलना में 0°C पर पानी के कणों से अधिक ऊर्जा होती है।

जब हम जल में ऊष्मीय ऊर्जा देते हैं, तो कण अधिक तेज़ी से गति करते हैं। एक निश्चित तापमान पर पहुँचकर कणों में इतनी ऊर्जा आ जाती है कि वे परस्पर आकर्षण बल को तोड़कर स्वतंत्र हो जाते हैं। इस तापमान पर द्रव गैस में बदलना शुरू हो जाता है।

क्वथनांक (Boiling Point)-वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है, इसका क्वथनांक कहलाता है। जल का क्वथनांक = 373 K (100°C + 273 = 373K)

वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा- वायुमंडलीय दाब पर 1 Kg द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

जब पानी को उबाला जाता है, तो उसके तापमान में वृद्धि नहीं होती है तापमान 100°C ही रहता है क्योंकि वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा, पानी के कणों के बीच के आकर्षण बल को तोड़ती है। अतः 100°C तापमान पर वाष्प के कणों में उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है।

तापमान में परिवर्तन से पदार्थ की अवस्था को एक से दूसरी में बदला जा सकता है, जैसा कि नीचे के आरेख में दिखाया गया है।
ऊर्ध्वपातन-कुछ ऐसे पदार्थ हैं, जो द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस में और वापिस ठोस में बदल जाते हैं। इस प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं।


उदाहरण - थोड़ा सा कपूर या अमोनियम क्लोराइड लेकर इसका चूर्ण करके, चीनीकी प्याली में डालिए। चीनी की प्याली पर कीप को उल्टा करके रखिए। कीप के सिरे पर रूई की डाट लगा दीजिए। धीरे-धीरे गरम कीजिए। हम देखेंगे कि कपूर (या अमोनिया क्लोराइड) ठोस से गैसीय अवस्था में बदल जाता है। कीप की भीतरी दीवारों पर पदार्थ के वाष्प संघनित होते हैं।


(ii) दाब परिवर्तन पर प्रभाव

यदि हम सिलिंडर में गैस लेकर उसे तापमान घटाने पर संपीडित करें, तो कणों के बीच की दूरी कम हो जाएगी और गैस द्रव में बदल जायेगी।
दाब बढ़ाना + तापमान घटाना ---> गैस को द्रव में बदलना
ज्यादा दाब बढ़ाने से गैस के कण नजदीक आ जाते हैं।
उदाहरण:
Solid Carbondioxide (ठोस कार्बन-डाइ-ऑक्साइड) [dry ice] को वापिस गैसीय CO2 (कार्बन-डाइ-ऑक्साइड) में बदला जा सकता है बिना द्रव अवस्था में बदले। इसके लिए दाब को घटा कर 1 ऐटमॉस्फीयर तक करना होता है।

दाब और तापमान के प्रभाव से पदार्थों की तीनों अवस्थाओं का अंतरा रूपांतरण इस प्रकार
प्रश्न 1. निम्नलिखित तापमान को सेल्सियस में बदलें
(a) 300 K (b) 573 K
उत्तर- (a) 300 K = (300 - 273)°C = 27°C  
(b) 573 K = (573 - 273)°C = 300°C

प्रश्न 2. निम्नलिखित तापमान पर जल की भौतिक अवस्था क्या होगी? ...
(a) 250°C (b) 100°C
उत्तर- (a) 250° C तापमान पर जल की भौतिक अवस्था गैसीय (वाष्प) होनी चाहिए।
(b) 100°C पर जल द्रव एवं गैस (भाप) दोनों अवस्थाओं में होगा।

प्रश्न 3. किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर क्यों रहता है?
उत्तर- किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर रहता है क्योंकि अवस्था परिवर्तन के समय पदार्थ को दी जाने वाली उष्मा उसके कणों के आकर्षण बल को कम करने में उपयोग हो जाती है।

प्रश्न 4. वायुमंडलीय गैसों को द्रव में परिवर्तित करने के लिए कोई विधि सुझाइए।
उत्तर- वायुमंडलीय गैसों को किसी बंद बर्तन में भर कर उनका दाब बढ़ाकर और तापमान घटाकर द्रव में परिवर्तित किया जा सकता है।



वाष्पीकरण
एक ऐसी सतही प्रक्रिया जिसमें द्रव पदार्थों में सतह के कण क्वथनांक से नीचे किसी भी तापमान पर वाष्प में बदलने लगते हैं, ऐसी प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं। सतह पर उपस्थित कणों में उच्च गतिज ऊर्जा के कारण वे अन्य कणों के आकर्षण बल से मुक्त हो जाते हैं और इसी कारण से वाष्प में बदल जाते हैं।

वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक
1.      सतह क्षेत्र बढ़ने परः अब हम जानते हैं कि वाष्पीकरण एक सतही प्रक्रिया है। सतही क्षेत्र बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती है। जैसे, कपड़े सुखाने के लिए हम उन्हें फैला देते हैं।
2.      तापमान में वृद्धिः तापमान बढ़ने पर अधिक कणों को पर्याप्त गतिज ऊर्जा मिलती है, जिससे वे वाष्पीकृत हो जाते हैं।
3.      आर्द्रता में कमी: वायु में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं। किसी निश्चित तापमान पर हमारे आस-पास की वायु में एक निश्चित मात्रा में ही जल वाष्प होता है। जब वायु में जल कणों की मात्रा पहले से ही अधिक होगी, तो वाष्पीकरण की दर घट जाएगी।
4.      वायु की गति में वृद्धिः हम जानते हैं कि तेज़ वायु में कपड़े जल्दी सूख जाते हैं। वायु के तेज़ होने से जलवाष्प के कण वायु के साथ उड़ जाते हैं जिससे आस-पास के जल-वाष्प की मात्रा घट जाती है।

वाष्पीकरण के कारण शीतलता कैसे होती है?
वाष्पीकरण प्रक्रिया के दौरान, लुप्त हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए द्रव के कण अपने आस-पास के वातावरण से ऊर्जा, अवशोषित कर लेते हैं। इस अवशोषण के कारण वातावरण शीतल हो जाता है।
उदाहरण
(1) अगर हम हाथ पर ऐसीटोन (acetone) डालते हैं तो Acetone हमारे हाथ से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है और इसी कारण हमें हाथ पर शीतलता महसूस होती है।
(2) गर्मी में हमें सूती कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि गर्मियों में पसीना अधिक आता है। सूती कपड़े पानी के अच्छे अवशोषक होने के कारण, पसीना अवशोषित करके वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकरण कर देते हैं। चूँकि वाष्पीकरण से शीतलता होती है, अतः गर्मी में सूती कपड़ों से आराम मिलता है।
(3) गर्मियों में अक्सर लोग मैदानों में पानी छिड़कते हैं। यह पानी मैदानों से ऊर्जा (गर्मी) प्राप्त करके वाष्प में बदल जाता है और उस जगह को ठंडा कर देता है।

प्रश्न 1. गर्म, शुष्क दिन में कूलर अधिक ठंडा क्यों करता है?
उत्तर- क्योंकि गर्म शुष्क दिन में आर्द्रता कम होने के कारण वाष्पन की दर बढ़ जाती है, वाष्पीकरण अधिक होने के कारण गर्म शुष्क दिन में कूलर अधिक ठंडा करता है ।
प्रश्न 2. गर्मियों में घड़े का जल ठंडा क्यों होता है?  
उत्तर- घड़े में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनके द्वारा जल का वाष्पन होता है तथा वाष्पन के लिए वह जल की ही ऊष्मा
ले लेता है जिस कारण घड़े में रखा जल, ठंडा हो जाता है।
प्रश्न 3. एसीटोन/पेट्रोल या इन डालने पर हमारी हथेली ठंडी क्यों हो जाती है?
उत्तर- अगर हम हाथ पर ऐसीटोन (acetone) डालते हैं तो Acetone हमारे हाथ से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है और इसी कारण हमें हाथ पर शीतलता महसूस होती है।
प्रश्न 4. कप की अपेक्षा प्लेट से हम गर्म दूम या चाय जल्दी क्यों पी लेते हैं?  
उत्तर- किसी भी द्रव के वाष्पन की दर क्षेत्रफल पर निर्भर करती है। कप की अपेक्षा प्लेट का सतही क्षेत्रफल अधिक होता है। जिस कारण प्लेट की सतह से वाष्पन अधिक होता है  जिसके कारण दूध या चाय जल्दी ठंडी हो जाती है। ठंडी होने के कारण हम इसे जल्दी पी लेते हैं।
प्रश्न 5. गर्मियों में हमें किस प्रकार के कपड़े पहनने चाहिए?
उत्तर- गर्मी में हमें सूती कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि गर्मियों में पसीना अधिक आता है। सूती कपड़े पानी के अच्छे अवशोषक होने के कारण, पसीना अवशोषित करके वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकरण कर देते हैं। चूँकि वाष्पीकरण से शीतलता होती है, अतः गर्मी में सूती कपड़ों से आराम मिलता है।


अभ्यास के प्रश्न :
1.      निम्नलिखित तापमानों को सेल्सियस इकाई में परिवर्तित करें: (a) 300 K (b) 573 K.
2.      निम्नलिखित तापमानों को केल्विन इकाई में परिवर्तित करें: (a) 25 °C (b) 373 °C
3.      निम्नलिखित अवलोकनो हेतु कारण लिखें:
a)     नैफ्थलीन को रखा रहने देने पर यह समय के साथ कुछ भी ठोस पदार्थ छोड़े बिना अदृश्य हो जाती है।
b)    हमें इत्र की गंध बहुत दूर बैठे हुए भी पहुँच जाती है।
4.      निम्नलिखित पदार्थों को उनके कणों के बीच बढ़ते हुए आकर्षण के अनुसार व्यवस्थित करें:
(a) जल (b) चीनी (c) ऑक्सीजन
5.      निम्नलिखित तापमानों पर जल की भौतिक अवस्था क्या है: (a) 25 °C (b) 0 °C  (c) 100 °C ?
6.      पुष्टि हेतु कारण दें: (a) जल कमरे के ताप पर द्रव है। (b) लोहे की अलमारी कमरे के ताप पर ठोस है।
7.      273 K पर बर्फ़ को ठंडा करने पर तथा जल को इसी तापमान पर ठंडा करने पर शीतलता का प्रभाव अधिक क्यों होता है?
8.      उबलते हुए जल अथवा भाप में से जलने की तीव्रता किसमें अधिक महसूस होती है?
पदार्थ की अन्य दो अवस्थाएँ :
अब वैज्ञानिक पदार्थ की पाँच अवस्थाओं की चर्चा कर रहे हैं:
(1)ठोस
(2) द्रव
(3) गैस
(4) प्लाज्मा
(5)बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट
प्लाज्मा - इस अवस्था में कण अत्यधिक ऊर्जा वाले और अधिक उत्तेजित होते हैं। ये कण आयनीकृत गैस के रूप में होते हैं। फ़्लोरसेंट ट्यूब और नियॉन बल्ब में प्लाज्मा होता है।
नियॉन बल्ब के अंदर नियॉन गैस और फ्लोरसेंट ट्यूब के अंदर हीलियम या कोई अन्य गैस होती है। विद्युत ऊर्जा प्रवाहित होने पर यह गैस आयनीकृत यानी आवेशित हो जाती है। आवेशित होने से ट्यूब या बल्ब के अंदर चमकीला प्लाज्मा तैयार होता है। गैस के स्वभाव के अनुसार इस प्लाज्मा में एक विशेष रंग की चमक होती है।
प्लाज्मा के कारण ही सूर्य और तारों में भी चमक होती है। उच्च तापमान के कारण ही तारों में प्लाज्मा बनता है।

बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट - सन् 1920 में भारतीय भौतिक वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस ने पदार्थ की पाँचवीं अवस्था के लिए कुछ गणनाएँ की थीं। उन गणनाओं के आधार पर अल्बर्ट आइंस्टाइन ने पदार्थ की एक नई अवस्था की भविष्यवाणी की, जिसे बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट (BEC) कहा गया।
सन् 2001 में अमेरिका के एरिक ए. कॉर्नेल, उल्फ़गैंग केटरले और कार्ल ई. वेमैन को "बोस-आइंस्टाइन कंडनसेशन" की अवस्था प्राप्त करने के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 सामान्य वायु के घनत्व के एक लाखवें भाग जितने कम घनत्व वाली गैस को बहुत ही कम तापमान पर ठंडा करने से BEC तैयार होता है।



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