Class 10 Science Chapter 2 Hindi Medium Notes | Acids, Bases and Salts
कक्षा – 10 विज्ञान
अध्याय – 2
अम्ल, क्षारक एवं लवण
अम्ल : ऐसे पदार्थ, जो स्वाद में खट्टे होते हैं तथा नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं, अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण – हाइड्रोक्लोरिक अम्ल HCl, सल्फ़युरिक अम्ल H2SO4, नाइट्रिक
अम्ल HNO3 आदि ।
प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले अम्ल:
स्रोत
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अम्ल का नाम
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1
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संतरा या नींबू
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सिट्रिक अम्ल
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2
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सेब
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मेलिक अम्ल
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3
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सिरका
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एसिटिक अम्ल
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4
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टमाटर
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ओक्सोलिक अम्ल
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5
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जठर रस
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हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
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6
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इमली
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टारटैरिक अम्ल
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7
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दही या खट्टा दूध
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लैक्टिक अम्ल
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8
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प्रोटीन
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अमीनो अम्ल
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9
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लाल चींटी का डंक
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मेथेनोइक अम्ल या फोर्मिक अम्ल
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10
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नेटल
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मेथेनोइक अम्ल या फोर्मिक अम्ल
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क्षारक : ऐसे
पदार्थ जो स्वाद में कडवे तथा लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं, उन्हें क्षारक कहते हैं। उदाहरण सोडियम
हाइड्रोक्साइड NaOH, पोटेशियम हाइड्रोक्साइड KOH आदि ।
अम्ल-क्षार सूचक : ऐसे पदार्थ जो किसी विलयन में अम्ल या क्षार के साथ मिल कर
अपना रंग परिवर्तन या गंध परिवर्तन कर लेते हैं, अम्ल-क्षार सूचक कहलाते है।
सूचक दो प्रकार के होते हैं:
1. अम्ल या क्षार के साथ रंग में परिवर्तन करने वाले।
2. अम्ल या क्षार के साथ गंध में परिवर्तन करने वाले (गंधीय सूचक)
1. रंग में परिवर्तन वाले सूचक :
a) नीला लिटमस- नीला
लिटमस अम्ल के साथ मिल कर लाल रंग का हो जाता है।
b) लाल लिटमस- लाल
लिटमस अम्ल के साथ मिल कर नीले रंग का हो जाता है।
c) हल्दी (टरमैरिक) –
हल्दी क्षारकों के साथ लाल-भूरा रंग पैदा करती है। इसी कारण कपड़े पर लगा सब्जी का
निशान क्षारकीय साबुन से धोने पर लाल-भूरा हो जाता है।
d) फिनोफ़्थलीन –
फिनोफ़्थलीन शुरू में रंगहीन होता है लेकिन क्षारकों के साथ यह गुलाबी रंग में बदल
जाता है।
e) मिथाइल ऑरेंज - मिथाइल ऑरेंज एक संश्लिष्ट सूचक है। इसका रंग
अम्ल के साथ लाल तथा क्षार के साथ पीला हो जाता है।
2. अम्ल या क्षार के साथ गंध में परिवर्तन करने वाले (गंधीय
सूचक)
प्याज के कटे हुए छोटे-छोटे टुकड़े और लॉन्ग का तेल अम्लों और क्षारकों के साथ
मिल कर भिन्न गंध उत्पन्न करते हैं , इसी गंध के आधार पर अम्लों और क्षारकों की उपस्थिति का पता लगता है।
NCERT प्रश्न – पेज 20
आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल
एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारीय विलयन है। यदि आपको
केवल लाल लिटमसपत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की
पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर : तीनों परखनलियों में लाल लिटमस पेपर डालो। जिस परखनली में लाल लिटमस
पेपर का रंग नीला हो जाए वह क्षारीय विलयन होगा। जिन दोनों परखनलियों में परिवर्तन
नहीं होगा, उनमें से एक में जल
तथा दूसरी में अमलीय विलयन ओग। अब जो लिटमस पत्र नीले रंग का हो गया है उसे शेष
दोनों परखनलियों में डुबाओ। जिस परखनली में यह लिटमस पत्र पुन: लाल हो जाएगा, वह अम्लीय विलयन होगा क्योंकि अम्ल नीले लिटमस को लाल करते हिन। तीसरी
परखनली में जल होगा।
नोट:
लीचन पौधों से प्राप्त किया जाने वाला
लिटमस बैंगनी रंग का होता है।
लिटमस न तो अमलीय होता है और न ही क्षारीय ।
अम्लों के रासायनिक गुण:
अम्लों के रासायनिक गुण निम्नलिखित है:
1. अम्लों की धातुओं से अभिक्रिया: अम्ल धातुओं से क्रिया करके लवण तथा हाइड्रोजन गैस बनाते
हैं।
अम्ल + धातु à लवण + हाइड्रोजन
गैस
2. धातु कार्बोनेट तथा बाईकार्बोनेट से क्रिया : अम्ल धातु कार्बोनेट तथा बाईकार्बोनेट से क्रियाकरके लवण, कार्बन डाइआक्साईड तथा जल बनाते है।
धातु कार्बोनेट + अम्ल à लवण + कार्बन
डाइआक्साईड + जल
3. क्षारकों से अभिक्रिया: अम्ल क्षारकों से अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते है:
क्षारक + अम्ल à लवण + जल
धातु आक्साइड + अम्ल à लवण + जल
यहाँ हम देखते हैं कि धातु आक्साइड अम्ल के साथ अभिक्रिया कर लवण और जल बनाते
है, अत: धात्विक आक्साइड की प्रकृति क्षारकीय
होती है।
5. अम्लों की धातु सलफाइड से अभिक्रिया : अम्ल धातु आक्साइड के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन
सल्फाइड गैस बनाते है जैसे –
क्षारकों के रासायनिक गुण :
1. क्षारकों का धातुओं से अभिक्रिया :क्षारक धातुओं से अभिक्रिया करके करके लवण तथा हाइड्रोजन
गैस उत्पन्न करते हैं।
क्षारक + धातु à लवण + हाइड्रोजन गैस
2. अम्लों की क्षारकों के साथ अभिक्रिया: क्षारक अम्लों से अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते है:
क्षारक + अम्ल à लवण + जल
क्षारकों की लवणों के साथ अभिक्रिया : क्षारक,
धातु लवणों से क्रिया करके अघुलनशील धात्विक हाइड्रोक्साइड बनाता है। जैसे-
ZnSO4 + 2NaOH à Na2SO4
+ Zn(OH)2 (¯)
जिंक सल्फेट सोडियम हाइड्रोक्साइड सोडियम सल्फेट जिंक हाइड्रोक्साइड
इसी तरह :
FeCl3 + 3NaOH à 3NaCl
+ Fe(OH)3 (¯)
फेरिक क्लोराइड सोडियम हाइड्रोक्साइड सोडियम क्लोराइड फेरिक हाइड्रोक्साइड
क्षारकों की आधातु
आक्साइडों से अभिक्रिया :
क्षारक, आधातु आक्साइडों के साथ क्रिया करके लवण
तथा जल बनाते हैं।
Ca(OH)2
+ CO2 à CaCO3(s)
+ H2O
(l)
कैल्सियम हाइड्रोक्साइड कार्बन डाइआकसाइड कैल्शियम कार्बोनेट जल
NCERT प्रश्न-उत्तर :
प्रश्न :पीतल एवं तांबे के बर्तनों
में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखें चाहिए?
उत्तर: दही एवं खट्टे
पदार्थ की प्रकृति अम्लीय होती है। अम्ल धातुओं से से शीघ्र ही क्रिया कर जाते
हैं। यदि हम दही एवं खट्टे पदार्थ धातुओं
के पात्रों में रखते हैं तो धातुओं से क्रिया करके विषैले यौगिकों का निर्माण करते
हैं जो हमारे लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ नहीं
रखनी चाहिए।
प्रश्न
: धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन सी गैस निकलती है? उदाहरण के द्वारा समझाइए। गैस की उपस्थिति की जांच कैसे करेंगे?
उत्तर: धातुओं से अम्ल की अभिक्रिया में सामान्यतः
हाइड्रोजन गैस निकलती है-
Zn
(s) + H2 SO4 à ZnSO4 + H2(g)
जिंक सल्फ्यूरिक अमल जिंक सल्फेट
हाइड्रोजन
हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति की जांच करने के लिए
यदि हम गैस के पास माचिस की जलती हुई तिल्ली लाते हैं तो यह फट-फट की ध्वनि के साथ जलती है। इससे हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति सिद्ध हो जाती है।
प्रश्न
3: कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अमल के साथ अभिक्रिया करता है
तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है।
यदि उत्पन्न यौगिकों में एक कैल्शियम क्लोराइड है, तो इस
अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर :
यह यौगिक ‘A’ निश्चित रूप से कैल्शियम कार्बोनेट होगा, क्योंकि कैल्शियम कार्बोनेट तनु हाइड्रोक्लोरिक अमल से क्रिया करके
कैल्शियम क्लोराइड तथा कार्बन डाइआक्साइड। इससे उत्पन्न गैस मोमबत्ती को बुझा देती
है, इसलिए गैस कार्बन डाइआक्साइड होगी।
इस
अभिक्रिया के लिए संतुलित समीकरण:
CaCO3(s) + 2HCl à CaCl2(aq) + H2O + CO2
कैल्शियम
कार्बोनेट हाइड्रोक्लोरिक
अमल कैल्शियम
क्लोराइड जल कार्बन डाइआक्साइड
NCERT अभ्यास प्रश्न-उत्तर:
प्रश्न
5: निम्न अभिक्रिया के लिए पहले शब्द-समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण
लिखिए :
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल एलुमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लौह के रेत के साथ अभिक्रिया करता है।
उत्तर:
(a) Zn (s) + H2 SO4 à ZnSO4 + H2(g)
जिंक सल्फ्यूरिक अमल जिंक सल्फेट
हाइड्रोजन
(b) Mg + 2HCl à MgCl2 + H2
मैग्नीशियम हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम क्लोराइड हाइड्रोजन
(c) Al +
3H2SO4
à Al2(SO4)3
+ 3H2
एलुमिनियम सल्फ्यूरिक अम्ल एलुमिनियम सल्फेट हाइड्रोजन
(d) Fe(s) + 2
HCl à FeCl2 + H2
आयरन हाइड्रोक्लोरिक अम्ल आयरन क्लोराइड
हाइड्रोजन
प्रश्न
10: परखनली A एवं B में समान लंबाई की
मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए। परखनली A में हाइड्रोक्लोरिक
अम्ल (HCl) तथा परखनली B में एसीटिक
अम्ल (CH3COOH) डालिए। किस परखनली में अधिक तेजी
से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों?
उत्तर:
परखनली A में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)
तथा परखनली B में एसीटिक अम्ल (CH3COOH) डालने पर परखनली A में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी
क्योंकि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, एसीटिक अम्ल से अधिक प्रबल है।
अत: हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, मैग्नीशियम की पट्टी के साथ अधिक
तीव्रता से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करेगा। इसके रासायनिक समीकरण
निम्नलिखित है-
Mg +
2HCl à MgCl2 + H2
मैग्नीशियम हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम क्लोराइड हाइड्रोजन
Mg + 2
CH3COOH à (CH3COO)2Mg + H2
मैग्नीशियम एसीटिक अम्ल मैग्नीशियम एसीटेट हाइड्रोजन
प्रश्न:
अम्लों व क्षारों के जलीय विलयन विद्युत के सुचालक क्यों होते है?
उत्तर :
अम्ल व क्षार जलीय विलयन में आयनीकृत होकर धन आयन व ऋण आयन मेँ टूट जाते हैं।
इन्हीं आयनों की उपस्थिति के कारण अमलीय या क्षारीय विलयन विद्युत धारा के सुचालक
होते हैं।
· विभिन्न
अम्लों के रासायनिक गुण समान होते हैं क्योंकि ये विलयन मेँ H+ आयन उत्पन्न करते हैं।
· विभिन्न
क्षारकों के रासायनिक गुण समान होते हैं क्योंकि ये विलयन मेँ OH- आयन उत्पन्न करते हैं।
विभिन्न
क्षारकों व अम्लों मेँ उपस्थित धन व ऋण आयन :
अमल
का नाम धनायन ऋणायन
HCl H+ Cl-
HNO3
H+ NO3-
CH3COOH
H+ CH3COO-
H2SO4 H+ SO42-
क्षारक
का नाम धनायन ऋणायन
NaOH Na+ OH-
Ca(OH)2 Ca2+ OH-
।
प्रश्न:
HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय
अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि एल्कोहल एवं
ग्लूकोज जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते
हैं?
उत्तर : HCl, HNO3
आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण करते है क्योंकि ये जलीय विलयन
में आयनीकृत होकर H+ आयन उत्पन्न करते हैं –
HCl à H+ + Cl-
HNO3
à H+ + NO3-
ग्लूकोज
(C6H12O6) तथा
एल्कोहल (C2H5OH) जैसे यौगिकों मेन
हाइड्रोजन तो होता है, परंतु ये अम्लीय लक्षण प्रदर्शित नहीं
करते क्योंकि जल में विलेय होने पर ये हाइड्रोजन आयन नहीं देते।
प्रश्न
2 : अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत चालन करता है?
उत्तर : अम्ल
का जलीय विलयन विद्युत चालन करता है, क्योंकि अम्लों
का जलीय विलयन आयनीकृत होकर धन आयन व ऋण आयन देता है। इन्हीं आयनों की उपस्थिति के
कारण अमलीय विलयन विद्युत विद्युत चालन करता है।
HCl à H+ + Cl-
HNO3
à H+ + NO3-
प्रश्न:
शुष्क हाड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है?
उत्तर:
शुष्क हाड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती है, क्योंकि जल की उपस्थिति के कार्न इसका आयनिकरण नहीं होता, जिसके कारण H+ उत्पन्न नहीं होते हैं। H+ की अनुपस्थिति के कारण यह अम्लों की तरह कार्य नहीं करती ।
प्रश्न
4: अम्ल को तनूकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना
चाहिए, न कि जल को अम्ल में?
उत्तर:
अम्ल और जल कि अभिक्रिया एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है अर्थात इस अभिक्रिया में
काफी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है। तनु अम्ल तैयार कने के लिए जब सांद्र अम्ल
को जल में डाला है, तो उत्पन्न ऊष्मा जल की अधिक मात्रा द्वारा अवशोषित
कर ली जाती है। लेकिन जब जल को सांद्र अम्ल में डाला जाता है तो ऊष्मा की बड़ी
मात्र तुरंत निकलती है। यह ऊष्मा जल की कुछ मात्रा को विस्फोट के साथ भाफ में बदल
देती है जो हमारे कपड़ों और चेहरे को नुकसान पंहुचा सकता है। अत्यधिक तापन के कारण
काँच का पात्र भी टूट सकता है।
प्रश्न
: अम्ल के विलयन को तनूकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन H3O+ की सांद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है?
उत्तर :
अम्ल के विलयन को तनूकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन H3O+ की सांद्रता में प्रति इकाई आयतन में कमी आ जाती है।
प्रश्न
: जब सोडियम हाइड्रोक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रोक्साइड
आयन (OH-) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर:
सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) विलयम में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो इसमें
हाइड्रोक्साइड आयन (OH-) की सांद्रता प्रति इकाई
आयतन बढ़ती जाती है।
NCERT अभ्यास के प्रश्न :
प्रश्न-7:
आसवित जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है?
उत्तर:
आसवित जल विद्युत का चालक नहीं होता क्योंकि आसवित जल का आयनीकरण नहीं होता। इसमें
लवण व गैस नहीं होती जबकि वर्षा के जल में कई गैसें जैसे CO2 तथा
SO2 घुली होती हैं जो जल की बूंदों के साथ मिलकर
कार्बोनिक अमल (H2CO3) तथा सल्फ्यूरिक
अमल (H2SO4) बनाती हैं। इन अम्लों का
आसानी से आयनीकरण हो जाता है जिस कारण
इनमें से विद्युत का चालान सुगमतापूर्वक हो जाता है।
प्रश्न-8:
जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता?
उत्तर:
जल अम्लों के साथ क्रिया करके हाइड्रोनियम आयन H3O+ उत्पन्न करता है। जल की अनुपस्थिति में अम्ल आयनीकृत नहीं होते और H3O+ आयन उत्पन्न नहीं करते हैं। इसी कारण जल की अनुपस्थिति में अम्ल का
व्यवहार अम्लीय नहीं होता।
प्रश्न-6
: एल्कोहल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोन होते हैं, लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे
साबित कीजिए।
उत्तर:
एल्कोहल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोन होते हैं, लेकिन इनके विलयन आयनीकृत नहीं होते और H+ आयन उत्पन्न नही करते। इसे हम निम्न प्रयोग द्वारा सिद्ध कर सकते हैं।
प्रयोग:
एक बीकर में एल्कोहल या ग्लूकोज का विलयन लें। दो लोहे की कीलों को रबड़ की कार्क
पर लगाओ। कार्क को बीकर में रखें। कीलों को संयोजी तार द्वारा स्विच तथा बैटरी से
जोड़ो, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। कुंजी दबा कर
विद्युत धारा प्रवाहित करें। विद्युत धारा का चालान नहीं होता। इससे सिद्ध होता है
कि ग्लूकोज या एलकोहल जैसे विलयन में हाइड्रोन होते हुए भी अमलीय नहीं होते हैं।
Note: सभी क्षारक जल में घुलनशील नहीं होते हैं। जल में घुलनशील क्षारक को क्षार
कहते हैं। इनका स्पर्श साबुन की तरह, स्वाद कड़वा होता है तथा
प्रकृति संक्षारक होती है। इन्हें कभी भी छूना या चखना नहीं चाहिए क्योकि ये
हानिकारक होते है।
क्षारों
के उदाहरण :
NaOH सोडियम
हाइड्रोक्साइड
KOH पोटैशियम
हाइड्रोक्साइड
Ca(OH)2 कैल्शियम हाइड्रोक्साइड
NH4OH अमोनियम
हाइड्रोक्साइड
नोट: सभी
क्षार क्षारक होते हैं परंतु सभी क्षारक क्षार नहीं होते।
प्रबल
अम्ल एवं दुर्बल अम्ल
प्रबल
अम्ल : वे अम्ल जो जलीय विलयन में पूरी तरह से आयनीकृत हो जाते हैं और
हाइड्रोनियम आयन (H3O+) का उच्च सांद्रता उत्पन्न
करते हैं उन्हें प्रबल अम्ल कहते हैं।
उदाहरण :
हाइड्रोक्लोरिक अमल (HCl), सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4),
नाइट्रिक अम्ल (HNO3)
दुर्बल
अम्ल : वे अम्ल जो जलीय विलयन में
आंशिक रूप से आयनीकृत होते हैं और हाइड्रोनियम आयन (H3O+) का निम्न सांद्रता उत्पन्न करते हैं उन्हें दुर्बल अम्ल कहते हैं।
उदाहरण :
एसिटिक अम्ल(CH3COOH), कार्बनिक अम्ल (H2CO3), फॉर्मिक अम्ल (HCOOH), अक्जोलिक अम्ल
[(COOH)2], सल्फ्यूरस अम्ल (H2SO3)
नोट: वे
क्षारक जो जलीय विलयन मे पूरी तरह से आयनीकृत हो जाती हैं और OH- आयन की उच्च सांद्रता उत्पन्न करते हैं उन्हें प्रबल क्षारक कहते
है तथा जो क्षारक जलीय विलयन में आंशिक रूप से आयनीकृत होते हैं उन्हें दुर्बल
क्षारक कहते हैं।
pH स्केल
किसी
विलयन में उपस्थित हाड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकसित
किया गया जिसे pH स्केल कहते हैं। इस pH स्केल
में p सूचक है ‘पुसांस’ (Potenz) का, जो एक जर्मन
शब्द है, जिसका अर्थ है ‘शक्ति’।
हाइड्रोजन
आयनों की सांद्रता का ऋणात्मक लागेरिथ्म (लघुगणक) pH कहलाता
है।
pH = -log10[H+]
चूंकि
विलयन मेन मुक्त H+ नहीं होते हैं, ये
जलयोजित होकर H3O+ हाइड्रोनियम आयन बनाते हैं। अत: pH का मान
निम्नलिखित भी हो सकता है।
pH = -log10[H3O+]
H3O+ की सांद्रता जितनी अधिक होगी pH का मान उतना कम
होगा।
pH स्केल से शून्य से 14 तक pH ज्ञात कर सकते हैं।
pH 0 या 0 से अधिक 7 से कम = विलयन
अम्लीय
pH 7 = विलयन उदासीन
pH 7 से अधिक व 14 तक = विलयन
क्षारीय
pH 7 से जितनी कम होगी अम्ल उतना ही प्रबल होगा इसी तरह pH 7 से जितनी अधिक होगी क्षारक उतना ही प्रबल होगा।
NCERT अभ्यास प्रश्न 9:
पाँच
विलयनों A,B,C,D व E की जब सारट्रिक सूचक
से जांच की जाती है तो pH के मान क्रमश: 4,1,11,7,और 9 प्राप्त होते हैं। कौन-सा विलयन :
(a) उदासीन है?
(b) प्रबल क्षारीय है?
(c) प्रबल अमलीय है?
(d) दुर्बल अमलीय है?
(e) दुर्बल क्षारीय है?
pH के मानों को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित
कीजिए।
उत्तर :
(a) उदासीन है-D
(b) प्रबल क्षारीय है-C
(c) प्रबल अमलीय है-B
(d) दुर्बल अमलीय है -A
(e) दुर्बल क्षारीय है- E
जिस
विलयन का pH मान जितना अधिक होगा उसमें H+ आयन की सांद्रता भी कम होगी। अत: H+
आयनों की सांद्रता के आरोही क्रम में विलयनों को निम्न प्रकार से लिख जा सकता है-
C<E<D<A<B
प्रश्न
1 : कोई विलयन लाल लिटमास को नीला कर देता है, इसका pH संभवत: क्या होगा?
(a) 1
(b) 4
(c) 5
(d) 10
उत्तर :
क्षारीय विलयन लाल लिटमस को नीला करते है। क्षारीय विलयनों का pH 7 से अधिक होता है इसलिए इस विलयन का pH मान 10 होगा।
(उत्तर –(d))।
दैनिक
जीवन में pH का महत्व (Importance of pH in daily life):
अम्लता
और क्षारकता की जानकारी होने पर हम दैनिक जीवन की कई समस्याओं का सफलतापूर्वक
समाधान कर सकते हैं। उदाहरण :
1.
उदर में अम्लता : इस की शिकायत होने पर उदर में जलन व दर्द का
अनुभव होता है। इस समय हमारे उदर में जठर रस जिसमें कि हाइड्रोक्लोरिक अमल (HCl) होता है, अधिक मात्रा में बनता है, जिससे उदर में जलन और दर्द होता है, इससे राहत पाने
के लिए antacid अर्थात दुर्बल क्षारकों जैसे Mg(OH)2
मिल्क आफ मैग्नीशिया का प्रयोग किया जाता है। यह उदर मेन अम्ल की
अधिक मात्रा को उदासीन कर देता है।
2.
अम्ल वर्षा : वर्षा जल शुद्ध माना जाता है परंतु प्रदूषकों के कार्न आजकल इसकी pH कम होने लगी है। इस प्रकार की वर्षा को अम्लीय वर्षा कहते है। यहा वर्षाजल
नदी से लेकर खेतों की मिट्टी तक को
प्रभावित करता है। इस प्रकार इससे फसल, जीव से लेकर
पूरा पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होता है। प्रदूषकों पर नियंत्रण रख अम्लीय वर्षा
को नियंत्रित किया जा सकता है।
3. दंत क्षय:
मुख की pH साधारणतया 6.5 के करीब होती है। खाना खाने के
पश्चात मुख मे उपस्थित बैक्टीरिया दाँतो मे लगे अवशिष्ट भोजन से क्रिया करके अमल
उत्पन्न करते है, जो कि मुख कि pH कम
कर देते हैं। pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतो के इनैमल का
क्षय होने लग जाता है। अत: भोजन के बाद दंत मंजन या क्षारीय विलयन से मुख कि सफाई
अवश्य करनी चाहिए ताकि दंतक्षय पर नियंत्रण पाया जा सके।
4.
कीटों का डंक : मधुमक्खी, चींटी या मकोड़े
जैसे किसी भी कीट का डंक हो, ये डंक में अम्ल स्त्रावित करते
हैं, जो हमारी त्वचा के संपर्क में आता है। इस अम्ल के कारण
ही त्वचा पर जलन व दर्द होता है। यदि उसी समय क्षारकीय लवणों जैसे (NaHCO3) सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट का प्रयोग उस स्थान पर किया जाए तो अम्ल का
प्रभाव उदासीन हो जाएगा।
5.मृदा
कि pH: मृदा की pH का मान ज्ञात करके
मिट्टी में बोई जाने वाली फसलों का चयन किया जा सकता है तथा उपयुक्त उर्वरक का
प्रयोग निर्धारित किया जाता है जिससे अच्छी फसल कि प्राप्ति होती है।
NCERT पुस्तक के प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-4:
अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस औषधि का उपयोग होता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) एनालजेसिक
(पीड़ाहारी)
(c) एंटेसिड
(d) एंटीसेप्टिक
(प्रतिरोधी)
उत्तर : (c) एंटेसिड
प्रश्न
3: NaOH का 10ml विलयन, HCl के 8ml विलयन से पूर्णत:
उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH के उसी विलयन का 20ml
लें तो इसे उदासीन करने के लिए HCl के उसी
विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
(a) 4ml
(b) 8ml
(c) 12ml
(d) 16ml
उत्तर: NaOH का 10ml विलयन, HCl के 8ml विलयन से पूर्णत: उदासीन हो जाता है। यदि NaOH
की मात्रा दोगुनी कर दी जाए तो इसे उदासीन करने के लिए HCl की मात्र भी दोगुनी लेनी होगी। अत: उत्तर (d) 16ml
प्रकृति
उदासीनीकरण के विकल्प देती है :
उदाहरण :
नेटल एक शाकीय पादप है जो जंगलों में उपजता है। इसके पतों में डंकनुमा बाल होते
हैं जो अगर गलती से छू जाए तो डंक जैसा दर्द होता है। इन बालों से मेथाइनाइक अम्ल
का स्त्राव होने के कारण यह दर्द होता है। पारंपरिक तौर पर इसका इलाज डंक वाले
स्थान पर डॉक के पौधे कि पत्ती रगड़ कर किया जाता है, क्योंकि
इस पौधे की प्रकृति क्षारीय होती है। ये पौधे अधिकतर नेटल के पास ही पैदा होते
हैं।
NCERT पुस्तक के प्रश्न-उत्तर
प्रश्न:
आपके पास दो विलयन ‘A’ और ‘B’ हैं। विलयन A के pH का मान 6 है एवं विलयन B के pH का मान 8 है। किस विलयन में हाइड्रोजन आयन की
सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय?
उत्तर:
किसी विलयन का pH मान उसमें उपस्थित [H+] आयनों कि सांद्रता के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इसलिए जिस विलयन का pH
मान कम होगा उसमें H+ आयन की
सांद्रता अधिक होगी तथा जिस विलयन का pH मान अधिक होगा उसमें
H+ कि सांद्रता कम होगी। विलयन A के pH का मान 6 है एवं विलयन B के pH का मान 8 है इसलिए विलयन A में H+ आयन की सांद्रता अधिक होगी। विलयन
A का pH मान 7 से कम है इसलिए यह अमलीय
है। विलयन B का pH 7 से अधिक है इसलिए
यह क्षारीय है।
प्रश्न
: H+ (aq) आयन कि
सांद्रता का विलयन कि प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: H+ आयन कि उपस्थिति ही विलयन कि प्रकृति सुनिश्चित करती है। H+ आयन कि सांद्रता जितनी अधिक होगी विलयन उतना अधिक अम्लीय होगा।
प्रश्न
: क्या क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं? अगर हाँ तो यह क्षारीय क्यों होते
हैं?
उत्तर:
क्षारकीय विलयनों में H+(aq) आयन होते हैं।
इन विलयनों में H+ के साथ OH- आयन भी होते हैं ये विलयन क्षारकीय होते हैं,
क्योंकि इन विलयनों में OH- आयनों की सांद्रता H+ आयनों की सांद्रता से अधिक होती है।
प्रश्न
: कोई किसान खेत कि मृदा कि किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्शियम
आक्साइड),बुझा हुआ चूना (कैल्शियम हाइड्रोक्साइड) या चॉक
(कैल्शियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?
उत्तर:
बिना बुझा हुआ चूना (कैल्शियम आक्साइड),बुझा हुआ चूना
(कैल्शियम हाइड्रोक्साइड) या चॉक (कैल्शियम कार्बोनेट) सभी क्षारीय प्रकृति कि
हैं। किसान इनका उपयोग खेत कि मृदा कि अम्लीयता समाप्त करने के लिए करेगा।
NCERT अभ्यास के प्रश्न:
प्रश्न
11: ताजे दूध का pH मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH मान मे क्या
परिवर्तन होगा, अपना उत्तर समझाइए।
उत्तर:
ताजे दूध का pH मान 6 होता है। परंतु दहि बनने पर इसका pH मन घाट जाएगा क्योंकि लेक्टोबेसिल्स जीवाणु इसमें लैक्टिक अमल उत्पन्न
करते हैं। इससे दही मे H+ आयनों की सांद्रता
बढ्ने से दूध दही मे बदलकर अम्लीय हो जाता है तथा pH मान कम
हो जाता है।
प्रश्न
12 एक ग्वाला ताजे दूध मे थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
(a) ताजे दूध के pH मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय
क्यों बना देता है?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?
उत्तर:
(a) ताजे दूध का pH मान 6 होता
है। इसमें गवाला थोड़ा बेकिंग सोडा मिला देता है इससे दूध का pH मान बढ़ जाता है। तथा यह क्षारीय हो जाता है। क्षारीय होने के कारण दूध
काफी लंबे समय तक खट्टा नहीं होता एवं खराब नहीं होता।
(b) बेकिंग सोडा मिला हुआ दूध, दही बनने में अधिक समय
लेता है, क्योंकि बेकिंग सोडा मिलाने से इसका pH मान 7 से अधिक हो जाता है। परंतु दही का pH मान 7 से
कम होता है। क्षारकों की उपस्थिति इसे शीघ्रता से अम्लीय होने से रोकती है। अत:
बेकिंग सोडा मिले हुए दूध को दही बनने में अधिक समय लगता है।
लवणों
का pH:
हम जानते हैं कि अम्ल क्षारकों से अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते है:
क्षारक + अम्ल à लवण + जल
यह
अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है।
प्रबल
अम्ल व प्रबल क्षार से बने लवण उदासीन होते हैं इनकी pH का मान 7 होता है।
प्रबल
अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण अमलीय होते हैं इनकी pH का मान 7 से कम होता है।
दुर्बल
अम्ल तथा प्रबल क्षार से बने लवण क्षारीय होते है इनकी पीएच का मान 7 से अधिक होता
है।
सोडियम
क्लोराइड (NaCl)
सोडियम
क्लोराइड को साधारण नामक कहते है। यह प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार का लवण होता है तथा
इसकी pH 7 होती है। pH 7 होने के
कार्न उदासीन प्रकृति का होता है। सोडियम क्लोराइड व्यापारिक तौर पर सुमदर के जल
या खारे पानी को सूखा कर बनाया जात है। इस प्रकार बन नमक में कई अशुद्धियाँ जैसे
मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2) कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2) होती है। इसे शुद्ध रूप में प्राप्त करने के लिए अशुद्ध सोडियम क्लोराइड
के संतृप्त विलयन से भरी बड़ी-बड़ी टंकियों में हाइड्रोजन क्लोराइ गैस (HCl) प्रवाहित की जाती है। इस प्रकार यहाँ शुद्ध नमक अवक्षेपित हो जाता है।
शुद्ध अवक्षेपित सोडियम क्लोराइड को एकत्रित कर लिया जाता है।
सोडियम
क्लोराइड के गुण :
1. यह
श्वेत ठोस पदार्थ है।
2. इसका
गलनांक उच्च 1081K होता है।
3. जल
में अत्यधिक विलेय है।
4. जलीय
विलयन में आयनित हो जाता है।
सोडियम
क्लोराइड के उपयोग:
1. इसका
उपयोग साधारण नमक के रूप में भोजन में किया जाता है।
2. खाद्य
परिरक्षण में प्रयोग किया जाता है।
3. NaOH, Na2CO3,
NaHCO3, विरंजक चूरन आदि बनाने में सोडियम क्लोराइड का
उपयोग किया जाता है।
सोडियम
हाइड्रोक्साइड (NaOH):
सोडियम
हाइड्रोक्साइड को कास्टिक सोडा भी कहते हैं। औद्योगिक स्तर पर सोडियम
हाइड्रोक्साइड का उत्पादन सोडियम क्लोराइड के विद्युत अपघटन द्वारा किया जात है।
इसमें एनोड पर कोलरीन गैस तथा कैथोड पर हाइड्रोजन गैस बनती है। कैथोड पर ही विलयन
के रूप में सोडियम हाइड्रोक्साइड प्राप्त होता है।
2 NaCl(aq) + 2H2O à 2 NaOH(aq) + Cl2(g)
+ H2(g)
सोडियम
हाइड्रोक्साइड के गुण :
1. यह
चिकना ठोस पदार्थ है।
2. इसका
गलनांक 591K है।
3. यह जल
में शीघ्र विलेय हो जाता है।
4. यह एक
प्रबल क्षार है। अपने जलीय विलयन में आयनीकृत होकर Na+ तथा OH- आयन बनाता है। अत: यह एक प्रबल
विद्युत अपघट्य भी है।
सोडियम
हाइड्रोक्साइड के उपयोग :
1. साबुन
कागज, सिल्क उद्योग तथा अन्य रसायनों के निर्माण में इसका
उपयोग किया जाता है।
2.
बाक्साइड के धातुकर्म में उपयोग होता है।
3.
पैट्रोलियम के शोधन में उपयोग किया जाता है।
4. वसा व
तेलों के निर्माण में काम में लिया जाता है।
5.
प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में उपयोग होता है।
विरंजक
चूर्ण (ब्लीचिंग पाउडर) CaOCl2
विरंजक
चूर्ण या ब्लीचिंग पाउडर का रासायनिक नाम कैल्शियम आक्सीक्लोराइड है। शुष्क बूझे
हुए चुने पर क्लोरीन गैस प्रवाहित करके इसका उत्पादन किया जाता है।
Ca(OH)2 +
Cl2 à CaOCl2 + H2O
कैल्शियम
हाइड्रोक्साइड
विरंजक
चूर्ण के गुण
1. यह
पीला तीक्ष्ण गंध वाला ठस पदार्थ है।
2. ठंडे
जल में विलेय है।
3. वायु
में खुला रखें पर क्लोरीन गैस देता है।
4. यह
तनु अम्लों से क्रिया करके क्लोरीन गैस देता है।
CaOCl2 + H2SO4
à CaSO4 + H2O
+ Cl2
CaOCl2 + 2HCl à CaCl2 + H2O
+ Cl2
5. विरंजक चूर्ण से मुक्त क्लोरीन
गैस जल से संयोग कर नवजात परमाण्विक आक्सीजन [O] निकालती है।
यही आक्सीजन विरंजन क्रिया करती है और आक्सीकारक की तरह व्यवहार करती है।
H2O + Cl2 à
2HCl + [O]
रंगीन पदार्थ + [O] à
रंगहीन पदार्थ
विरंजक
चूर्ण के उपयोग :
1.
वस्त्र उद्योग मे विरंजक के रूप में।
2. कागज
उद्योग में विरंजक के रूप में।
3. पेयजल
को शुद्ध करने में।
4.
रोजाणुनाशक एवं आक्सीकारक के रूप में।
5.
प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
बेकिंग
सोडा (NaHCO3) :
बेकिंग
सोडा को खाने का सोडा भी कहते हैं। इसका रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट
है। इसे खाद्य पदार्थों मे मिलाकर गरम करने (बेक करने) पर कार्बन डाइआक्साइड गैस
बुलबुलों के रूप मे बाहर निकल जाती है। इस प्रकार केक जैसे खाद्य पदार्थ फूलकर
हल्के हो जाते हैं और उनमें छिद्र पड़ जाते हैं। NaCl का
उपयोग करके बेकिंग सोडा बनाया जाता है।
NaCl + H2O + CO2
+ NH3 à NH4Cl
+ NaHCO3
सोडियम
कार्बोनेट के विलयन मे कार्बनडाइआक्साइड गैस प्रवाहित करके भी इसे बनाया जाता है।
Na2CO3 + CO2
+ H2O à 2NaHCO3
गुण
:
1. यह
श्वेत क्रिस्टलीय ठोस है।
2. यह जल
में अल्प विलेय है।
3. जल
में इसका विलयन क्षारीय होता है।
4. इसे
गरम करने पर कार्बनडाइआक्साइड गैस निकलती है।
2NaHCO3 à
Na2CO3 + H2O + CO2
बेकिंग
सोडा के उपयोग :
1. खाद्य
पदार्थों में बेकिंग पाउडर के रूप में।
2. सोडा
वाटर तथा सोडा युक्त शीतल पेय बनाने में।
3. पेट
की अम्लीयता को दूर करने में एंटासिड के रूप में।
4.
अग्निशामक यंत्रों में।
5.
प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
धावन
सोडा (Na2CO3.10H2O):
इसे कपड़े
धोने का सोडा भी कहते हैं। इसका रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट है। इसमें एक
सोडियम कार्बोनेट अणु के साथ 10 अणु क्रिस्टलन जल होता है। सोडियम कार्बोनेट का
सालवे विधि से निर्माण किया जाता है। एक अन्य विधि मे बेकिंग सोडा को गरम करने पर
सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है। इसे पुन: क्रिस्टलीकरण करने पर कपड़े धोने का
सोडा अर्थात धावन सोडा प्राप्त होता है।
2NaHCO3 à
Na2CO3 + H2O + CO2
Na2CO3 + 10H2O à Na2CO3.10H2O
धावन
सोडा के गुण :
1. यह
सफ़ेद क्रिस्टलीन ठोस होता है।
2. यह जल
में विलेय होता है।
3. इसका
जलीय विलयन क्षारीय होता है।
4. यह
गरम करने पर क्रिस्टलन जल त्याग कर सोडा एश बनाता है।
Na2CO3.10H2O à
Na2CO3 + 10H2O
धावन
सोडा के उपयोग:
1. यह
धुलाई व सफाई मेन प्रयोग किया जाता है।
2. यह
कास्टिक सोडा, बेकिंग पाउडर, काँच, साबुन, बोरेक्स आदि पदार्थों के निर्माण मे प्रयोग
किया जाता है।
3.
अपमार्जक के रूप में।
4. कागज, पेंट तथा वस्त्र उद्योग में।
5.
प्रयोगशाल में अभिकर्मक के रूप में।
6. जल की
स्थायी कठोरता को दूर करने में।
प्लास्टर
ऑफ पेरिस (CaSO4. ½ H2O)
प्लास्टर
ऑफ पेरिस का रासायनिक नाम कैल्सियम सल्फेट का अर्धहाइड्रेट है। फ्रांस की राजधानी
पेरिस में जिप्सम को गर्म करके सबसे पहले इसे बनाया गया था अत: इसका नाम प्लास्टर
ऑफ पेरिस रखा गया। इसे पी.ओ.पी.(P.O.P.) भी कहते है।
जिप्सम (CaSO4.
2H2O) को 393K ताप पर गर्म करने पर
यह प्राप्त होता है।
2CaSO4.
2H2O (गर्म करने पर)à CaSO4.
½ H2O + 3H2O
प्लास्टर
ऑफ पेरिस को और अधिक गर्म करने पर सम्पूर्ण क्रिस्टलन जल निकाल जाता है और मृत
तापित प्लास्टर (Dead Brunt Plaster) प्राप्त होता है।
प्लास्टर
ऑफ पेरिस के गुण:
1. यह
ठोस चिकना पदार्थ है।
2. इसमें
जल मिलाने पर 15 से 20 मिनट मे जमकर ठोस और कठोर हो जाता है।
3. 2CaSO4.
½ H2O + 3H2O à 2CaSO4.
2H2O
प्लास्टर
ऑफ पेरिस के उपयोग :
1. इसका
महत्वपूर्ण उपयोग टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में।
2.
उपकरणों को वायुरुद्ध बनाने में ।
3. भवन
निर्माण में।
4. दंत
चिकित्सा में ।
5.
मूर्तियाँ आदि सजावटी सामानों को बनाने में ।
NCERT पुस्तक के प्रश्न-उत्तर :
प्रश्न:
CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?
उत्तर:
बिरंजक चूर्ण या ब्लीचिंग पाउडर
उस
पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
उत्तर : Ca(OH)2 +
Cl2 à CaOCl2 + H2O
कैल्शियम
हाइड्रोक्साइड विरंजक चूर्ण
प्रश्न
: कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
धावन सोडा (Na2CO3.10H2O)
प्रश्न:
प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साठा अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर :
2CaSO4. ½ H2O + 3H2O à
2CaSO4. 2H2O
प्लास्टर ऑफ पेरिस जिप्सम
NCERT अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न
13: प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक सूत्र 2CaSO4. ½ H2O है। यह जल से अभिक्रिया करके
जिप्सम बनाता है तथा कठोर हो जाता है।
2CaSO4. ½ H2O + 3H2O à 2CaSO4.
2H2O
प्लास्टर ऑफ पेरिस जिप्सम
इसलिए
प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र रोधी बर्तनो में रखा जाता है।
प्रश्न 2: कोई विलयन
अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी को
दूधिया कर देती है। इस विलयन में क्या होगा?
(a) NaCl
(b) HCl
(c) LiCl
(d) KCl
उत्तर: अंडे का कवच कैल्शियम
कार्बोनेट CaCO3 का
बना होता है जो HCl के साथ अभिक्रिया करके कार्बन डाइआक्साइड
(CO2) उत्पन्न करता है। CO2 चूने के पानी को दूधिया कर देती है।
(b) HCl
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Aapka har samsya ka samadhan yaha hoga.
https://youtu.be/zvB_Rvsxexc
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